इस सम्बन्ध में कोई भी लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी: अन्नपूर्णा मिश्रा
आदेश का पालन करने से होगी असाधारण मानवीय त्रासदी व उभरेगा जनाक्रोश
22 मई 2013
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 20 मई को समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र , हरियाणा व उत्तर प्रदेश में यमुना रिवर बेड से अनधिकृत निर्माण हटाने का आदेश दिया है।
पूर्वी दिल्ली की पूर्व महापौर व ऐसे ही क्षेत्र में बने वार्ड सोनिया विहार से निगम पार्षद डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा का कहना है कि इस आदेश के लिए दिल्ली सरकार व डीडीए की अक्षमता जिम्मेदार है. दिल्ली सरकार व डीडीए द्वारा इन क्षेत्रो की जमीनी हकीकत व इतिहास के सम्बन्ध में सही तरीके से ग्रीन ट्रिब्यूनल को जानकारी नहीं दी गयी।
इन क्षेत्रो में लाखो परिवार बसते है और इनमे से किसी भी परिवार ने कोई अनधिकृत कब्ज़ा नहीं किया है, इन सभी गरीब व मेंहनतकश लोगो ने रात दिन की कमाई से किसी तरह छोटे छोटे प्लाट खरीद कर घर बनाये है। अकेले दिल्ली में ही चालीस लाख से ज्यादा लोग इन्ही क्षेत्रो में रहते है।
अगर ग्रीन ट्रिब्यूनल के ऐसे किसी भी आदेश को पालन किये जाने का प्रयास किया जाता है तो दिल्ली में न केवल एक असाधारण मानवीय त्रासदी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी वही साथ ही भयानक कानून एवं व्यवस्था की समस्या भी खड़ी होगी।
ऐसा लगता है दिल्ली सरकार व डीडीए या तो गहरी नींद में सोये हुए है अथवा जानबूझकर इन लाखो लोगो के जीवन पर उत्त्पन्न संकट की अनदेखी कर रहे है।
यमुना रिवर बेड पर जहाँ कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज स्वयं डीडीए द्वारा बनाया गया वहां अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले गरीब निवासियों के आशियाने पर खतरा आता देखकर भी दिल्ली सरकार व डीडीए की चुप्पी को देखकर लगता है कि इस सरकार के राज में गरीबो के लिए अलग नियम है और अमीरों के लिए कोई नियम नहीं।
इन बस्तियों में लाखो घरो के साथ साथ सरकार द्वारा तैयार किया गयी गलियां, नालियां, स्कूल, हस्पताल, पोस्ट ऑफिस जैसी अनेक बुनियादी सुविधाएँ भी मौजूद है, इन्ही सब को देखकर ज्यादा से ज्यादा लोगो ने चंद पैसे जोड़कर इन क्षेत्रो में किसी तरह छोटे छोटे प्लाट खरीद कर घर बनाये है। आज अचानक इनके घरो को हटाये जाने का कोई भी निर्णय अव्यवहारिक, अमानवीय व असंभव है।
डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा का कहना है कि दिल्ली सरकार व डीडीए को ग्रीन ट्रिब्यूनल के इस आदेश खिलाफ तत्काल अपील करनी ही होगी।
मैं शीला दीक्षित व डीडीए के अधिकारीयों को चेतावनी देती हूँ कि इस सम्बन्ध में कोई भी लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।
हम लोग इस सम्बन्ध में दिल्ली सरकार के अगले कदम पर लगातार नज़र रखे हुए है।
इन सभी क्षेत्रो में उत्तर प्रदेश, बिहार व उत्तराखंड जैसे राज्यों से आये मेहनतकश व स्वाभिमानी नागरिक रहते है।
आज आवश्यकता इन क्षेत्रो का नियमितीकरण करने व इन क्षेत्रो में बेहतर बुनियादी सुविधाएँ उत्पन्न कराने की है।
अभी भी समय है दिल्ली सरकार व डीडीए होश में आये और इन क्षेत्रो में रहने वाले लाखो परिवारों के आशियाने व जीवन पर आने वाले इस संकट का तुरंत समाधान करे, इस सम्बन्ध में की गयी छोटी सी लापरवाही जन आक्रोश में परिवर्तित हो सकती है।
आदेश का पालन करने से होगी असाधारण मानवीय त्रासदी व उभरेगा जनाक्रोश
22 मई 2013
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 20 मई को समूचे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र , हरियाणा व उत्तर प्रदेश में यमुना रिवर बेड से अनधिकृत निर्माण हटाने का आदेश दिया है।
पूर्वी दिल्ली की पूर्व महापौर व ऐसे ही क्षेत्र में बने वार्ड सोनिया विहार से निगम पार्षद डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा का कहना है कि इस आदेश के लिए दिल्ली सरकार व डीडीए की अक्षमता जिम्मेदार है. दिल्ली सरकार व डीडीए द्वारा इन क्षेत्रो की जमीनी हकीकत व इतिहास के सम्बन्ध में सही तरीके से ग्रीन ट्रिब्यूनल को जानकारी नहीं दी गयी।
इन क्षेत्रो में लाखो परिवार बसते है और इनमे से किसी भी परिवार ने कोई अनधिकृत कब्ज़ा नहीं किया है, इन सभी गरीब व मेंहनतकश लोगो ने रात दिन की कमाई से किसी तरह छोटे छोटे प्लाट खरीद कर घर बनाये है। अकेले दिल्ली में ही चालीस लाख से ज्यादा लोग इन्ही क्षेत्रो में रहते है।
अगर ग्रीन ट्रिब्यूनल के ऐसे किसी भी आदेश को पालन किये जाने का प्रयास किया जाता है तो दिल्ली में न केवल एक असाधारण मानवीय त्रासदी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी वही साथ ही भयानक कानून एवं व्यवस्था की समस्या भी खड़ी होगी।
ऐसा लगता है दिल्ली सरकार व डीडीए या तो गहरी नींद में सोये हुए है अथवा जानबूझकर इन लाखो लोगो के जीवन पर उत्त्पन्न संकट की अनदेखी कर रहे है।
यमुना रिवर बेड पर जहाँ कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज स्वयं डीडीए द्वारा बनाया गया वहां अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले गरीब निवासियों के आशियाने पर खतरा आता देखकर भी दिल्ली सरकार व डीडीए की चुप्पी को देखकर लगता है कि इस सरकार के राज में गरीबो के लिए अलग नियम है और अमीरों के लिए कोई नियम नहीं।
इन बस्तियों में लाखो घरो के साथ साथ सरकार द्वारा तैयार किया गयी गलियां, नालियां, स्कूल, हस्पताल, पोस्ट ऑफिस जैसी अनेक बुनियादी सुविधाएँ भी मौजूद है, इन्ही सब को देखकर ज्यादा से ज्यादा लोगो ने चंद पैसे जोड़कर इन क्षेत्रो में किसी तरह छोटे छोटे प्लाट खरीद कर घर बनाये है। आज अचानक इनके घरो को हटाये जाने का कोई भी निर्णय अव्यवहारिक, अमानवीय व असंभव है।
डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा का कहना है कि दिल्ली सरकार व डीडीए को ग्रीन ट्रिब्यूनल के इस आदेश खिलाफ तत्काल अपील करनी ही होगी।
मैं शीला दीक्षित व डीडीए के अधिकारीयों को चेतावनी देती हूँ कि इस सम्बन्ध में कोई भी लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।
हम लोग इस सम्बन्ध में दिल्ली सरकार के अगले कदम पर लगातार नज़र रखे हुए है।
इन सभी क्षेत्रो में उत्तर प्रदेश, बिहार व उत्तराखंड जैसे राज्यों से आये मेहनतकश व स्वाभिमानी नागरिक रहते है।
आज आवश्यकता इन क्षेत्रो का नियमितीकरण करने व इन क्षेत्रो में बेहतर बुनियादी सुविधाएँ उत्पन्न कराने की है।
अभी भी समय है दिल्ली सरकार व डीडीए होश में आये और इन क्षेत्रो में रहने वाले लाखो परिवारों के आशियाने व जीवन पर आने वाले इस संकट का तुरंत समाधान करे, इस सम्बन्ध में की गयी छोटी सी लापरवाही जन आक्रोश में परिवर्तित हो सकती है।