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Tuesday, February 26, 2013

विज्ञापन मामले में निगम की जांच रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण, जनता से धोखा : महापौर

विज्ञापन मामले में निगम की जांच रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण, जनता से धोखा : महापौर 

सम्बंधित अधिकारीयों को बचाने का प्रयास दु:खद एवं हास्यास्पद 
 

26 फ़रवरी 2013, पूर्वी दिल्ली

पूर्वी दिल्ली नगर निगम की महापौर डॉ अन्नपूर्णा  मिश्र ने आज विज्ञापन विभाग में अनियमितताओं के सम्बन्ध में निगम अधिकारीयों द्वारा की गयी जांच को पक्षपातपूर्ण व जनता से धोखा बताया। महापौर महोदया  ने कहा कि ये बहुत निराशाजनक व दुखद है कि जांच अधिकारी श्री जे बी सिंह ने जांच के माध्यम से न केवल सम्बंधित अधिकारीयों को बचाने का प्रयास किया है बल्कि अपनी जांच में वह "औचक दौरे" के दौरान रंगे हाथो पकडे गए अधिकारीयों की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे है।

महापौर महोदया ने कहा कि जांच के दौरान न केवल तथ्यों की अनदेखी की गयी व उन्हें छुपाया गया बल्कि निष्पक्ष जांच से सम्बंधित सभी सिद्धांतो व नियमो को भी खुलेआम ताक पर रख दिया गया।

डॉ मिश्रा  ने कहा कि इस प्रकार की रिपोर्ट क्षेत्र की जनता, मीडिया, जनप्रतिनिधियों, आयुक्त, निदेशक, माननीय उपराज्यपाल और उन सभी पक्षों को एक धोखा देने का प्रयास है जो इस मामले में हो रही प्रगति को ध्यानपूर्वक देख रहे है।    

उल्लेखनीय है कि 8 जनवरी 2013 को महापौर महोदया द्वारा किये गए औचक दौरे के दौरान निगम के विज्ञापन विभाग में बड़ी अनियमितताएं पाई गयी थी व महापौर महोदया  ने सम्बंधित अधिकारीयों के निलंबन व निष्पक्ष जांच की मांग निगमायुक्त महोदय से की थी। औचक दौरे के दौरान पूर्वी दिल्ली निगम के छोटे से क्षेत्र में ही सैकड़ो अनधिकृत युनिपोल लगे हुए पाए गए थे.

निगम द्वारा महापौर महोदया  को दी गयी जांच रिपोर्ट के सम्बन्ध में महापौर महोदया  ने कई प्रश्न खड़े किये है।

१. उन्होंने पूछा है कि आखिर क्या कारण थे कि निगम के पास अपना सतर्कता विभाग होते हुए भी इस मामले की जांच एक ऐसे अधिकारी से करायी गयी जो स्वयं अपनी जांच रिपोर्ट में लिख रहे है कि उनके पास त्रिपुरा चुनाव की  होने के कारन यह जांच जल्दबाजी में पूरी करनी पड़ी। आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि निगम के सतर्कता विभाग के पास आवश्यक कौशल, योग्यता व अनुभव होते हुए भी इस मामले की जांच ऐसे अधिकारी को सौपी गयी जो इस कार्य के लिए केवल "पार्ट टाइम" उपलब्ध थे.

२. डॉ मिश्रा ने कहा कि ऐसे अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी देना जिसका सम्बंधित अधिकारीयों से करीबी कामकाजी रिश्ता हो, न केवल निष्पक्ष जांच के सिद्धांतो व नियमो के खिलाफ है बल्कि इस मामले में जांच के पक्षपातपूर्ण होने के पीछे यह एक महत्वपूर्ण कारण है.

३. डॉ मिश्रा ने कहा कि अपनी रिपोर्ट में जिस प्रकार श्री जे बी सिंह ने विज्ञापन विभाग के सम्बंधित अधिकारियो के कामकाज की तारीफ की है व विज्ञापन विभाग में हुए कार्यो का बखान किया है उससे लगता है कि जांच अधिकारी यह भूल गए थे कि उनको अवैध युनिपोल ले मामले की जांच की जिम्मेदारी दी गयी थी नाकि साल भर के कार्यो की उपलब्धता रिपोर्ट बनाने की। उन्होंने कहा कि यहाँ पर मैं यह भी बताना चाहती हूँ कि पिछले दस महीनो में निगम के सभी विभागों में कार्यकुशलता बेहतर हुयी है और विज्ञापन विभाग कोई अपवाद नहीं है परन्तु इसका अर्थ ये नहीं कि लापरवाही व भ्रष्टाचार करने की छूट दे दी जाये।

४. इस जांच रिपोर्ट की सबसे हैरान करने वाला पक्ष यह है कि मेरे द्वारा किया गए औचक दौरे के अगले दिन उन्ही अधिकारीयों को निरिक्षण की जिम्मेदारी दी गयी जिनके खिलाफ जांच की मांग की गयी थि.

५. जांच रिपोर्ट के अनुसार जिन पांच अधिकारीयों के निलंबन की मांग की गयी थी उन्ही में से चार को निरिक्षण के लिए भेज गया और इस निरिक्षण का आदेश और किसी ने नहीं बल्कि सूची में शामिल पांचवे अधिकारी के द्वारा ही दिया गया। यह बहुत ही हास्यास्पद है की जांच अधिकारी श्री जे बी सिंह ने इन्ही अधिकारीयों द्वारा किये गए निरिक्षण को प्रमाणिक मानते हुए लिखा है कि निरिक्षण के दौरान केवल ६ अवैध युनिपोल पाए गये. आखिर श्री जे बी सिंह इस निरिक्षण से और क्या आशा कर रहे थे?

६. इस प्रकार की जांच सभी सिद्धांतो व नियमो के विरुद्ध है और इसे कदापि स्वीकार नहीं किया जा सकता।  

७. यह बड़ा ही हैरान करने वाला विषय है कि जांच अधिकारी श्री जे बी सिंह ने पूरी जांच केवल उन्ही अधिकारीयों के द्वारा दिए गए तथ्यों के आधार पर पूरी की जिनके खिलाफ जांच की जा रही थी, पूरी जांच के दौरान जांच अधिकारी ने एक बार भी औचक दौरे को कवर करने वाले मीडिया व पत्रकारों अथव उस क्षेत्र विशेष के जनप्रतिनिधियों से बात करने की जरूरत भी नहीं समझी।

८. जांच रिपोर्ट किस प्रकार की लापरवाही से तैयार की गयी उसका एक उदहारण ये है कि श्री जे बी सिंह ने अपनी जांच में लिखा है कि निरिक्षण के दौरान केवल ६ अनधिकृत युनिपोल पाए गए। श्री सिंह ये बताना बड़ी आसानी से भूल गए कि निगम के विज्ञापन विभाग के वाणिज्य अधिकारी ने स्वयं 16 जनवरी को विभिन्न पुलिस थाना अधिकारीयों को पात्र लिखकर 10 व्यावसायिक इकाइयों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कहा था। प्रश्न ये है कि सिर्फ छह अनधिकृत युनिपोल पाए गए तो दस संस्थानों पर मामला दर्ज करने को क्यों कहा गया? स्पष्ट है कि जांच अधिकारी ने जांच के दौरान केवल पक्षपातपूर्ण तरीके से तथ्यों का चुनाव किया बल्कि मीडिया में आये सार्वजानिक तथ्यों को भी नज़रंदाज़ किया।

 
९. 21 जनवरी को श्री जे बी सिंह ने मेरे कार्यालय में आकर मुलाकात की और 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट जमा करा दी। औचक दौरे के दो हफ्ते बाद जांच अधिकारी द्वारा महापौर कार्यालय में संपर्क किया गया, इस बीच सम्बंधित अधिकारीयों को तथ्यों को परकहने व स्वयं निरिक्षण करने जैसी पूरी छूट दी गयी।


१०  जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट मैं महापौर में प्रति हल्की भाषा का प्रयोग करने का प्रयास भी किया।  ऐसा लगता है कि जांच अधिकारी इस प्रकार की भाषा द्वारा मुद्दे से ध्यान भटकने का प्रयास करना चाहते है।  मेरा सवाल है कि :-
  • क्या जांच अधिकारी की नज़र में यह गंभीर विषय नहीं है?
  • क्या जांच अधिकारी अनभिज्ञ है कि महापौर के द्वारा किये गए औचक दौरे के बाद ही अनियमितताओ का खुलासा हो सका है?
  • अगर इस प्रकार का व्यवहार महापौर के साथ किया जा रहा है तो यह समझना मुश्किल नहीं कि आम आदमी को शिकायत करने व निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए कितनी मुश्किलों का सामना करना  होगा।
     
 ११  जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में लिखा है की यूपी सिंचाई विभाग को 20 दिसम्बर को पत्र भेज गया जबकि रिपोर्ट के साथ संलग्न प्रति 11 जनवरी को भेजे पत्र की है।

स्पष्ट है श्री जे बी सिंह का पूरा प्रयास सम्बंधित अधिकारीयों को बचाने का ही रहा।

ऐसा लगता है ये जांच रिपोर्ट एक कल्पनाशील लेखक द्वारा रहस्यमयी कथा लिखने का असफल प्रयास है जो एक दुखद अंत वाली कॉमेडी के रूप में सामने आई है।

ये जांच रिपोर्ट अनियमिताओ व भ्रष्टाचार को छुपाने का प्रयास है और भ्रष्ट अधिकारीयों के बीच गहरी सांठ गांठ को रेखांकित करता है।

ये प्रकरण एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के महत्त्व को भी रेखांकित करता है।

सबसे ज्यादा निराशाजनक बात यह है कि इस रिपोर्ट को निगम आयुक्त के द्वारा मुझे भेज गया। ऐसा लगता है आयुक्त महोदय को रिपोर्ट को पढने का समय नहीं मिला अन्यथा ये असंभव है कि रिपोर्ट की विसंगतियों और पक्षपातपूर्ण रुख का उन्हें पता नहीं चलता।

जब मैंने भ्रष्टाचार को जनता के सामने लाने  की इस मुहीम की शुरुआत की तभी मुझे अंदाज़ा था कि यह एक मुश्किल और  लड़ाई है परन्तु एक निष्पक्ष जांच कराना भी इतना मुश्किल हो जायेगा यह मैंने नहीं सोचा था।

मैं निगमायुक्त से अपील करती हूँ कि इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करे।
  
अब यह मामला निगमायुक्त, निदेशक महोदय, माननीय उपराज्यपाल, मीडिया व जनता की अदालत में है। 

सम्बंधित अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही व पूरे मामले की निष्पक्ष जांच ही एक मात्र रास्ता है और इस विषय पर कोई समझौता नहीं किया जायेगा।   

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Tuesday, February 5, 2013

निगम विद्यालयों में नहीं कर सकेंगे प्रवेश से इनकार, शिक्षा के अधिकार को लागू करने की दिशा में ठोस निर्णय

निगम विद्यालयों में नहीं कर सकेंगे प्रवेश से इनकार,  शिक्षा के अधिकार को लागू करने की दिशा में ठोस निर्णय 

- बच्चे का दाखिला उनकी आयु के हिसाब से संबन्धित क्लास में किया जाएगा और किसी प्रकार का टेस्ट नहीं लिया जायेगा

- निवास या बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र के लिए नहीं होगी एफिडेविट की आवश्यकता 
- महापौर ने दिया सभी निगम विद्यालयों के बाहर स्पष्ट  सूचना लिखने के निर्देश 



5 फ़रवरी 2013, पूर्वी दिल्ली नगर निगम

पूर्वी दिल्ली नगर निगम की महापौर डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा ने आज शिक्षा के अधिकार कानून को पूर्वी दिल्ली में लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण व ठोस प्रयास करते हुए विशेष निर्देश जारी किये है।

निगमायुक्त व शिक्षा निदेशक को दिए निर्देश में महापौर ने कहा है कि शिक्षा के मौलिक अधिकार कानून के तहत किसी भी छात्र को इस आधार पर प्रवेश देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि  परिजनों के पास जन्म प्रमाण पत्र या निवास प्रमाण पत्र नहीं है।                          

"पारदर्शिता" संस्था द्वारा महापौर कार्यालय में दी गयी सूचना के अनुसार निगम के कई विद्यालयों में जन्म या निवास प्रमाण पत्र के ना होने के कारण कई बच्चो को प्रवेश देने से इनकार कर दिया  है या फिर उनके परिजनों से जन्म व निवास प्रमाण हेतु एफिडेविट देने के लिए कहा जाता है।

महापौर ने अपने निर्देश में स्पष्ट कहा है कि ये प्रक्रिया ये शिक्षा के मौलिक अधिकार के कानून के विरूद्ध है व इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।  

इस सम्बन्ध में सूचना मिलने के साथ ही महापौर महोदया ने निगम की शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा से चर्चा कर ये निर्णय लिया है कि  पूर्वी दिल्ली में निगम के सभी विद्यालयों के बाहर विशेष सूचना पट लगाकर शिक्षा के मौलिक अधिकार के तहत प्रवेश की जानकारी स्पष्ट रूप से लिखी जाये।

उल्लेखनीय है कि 2009 में पास इस कानून के तहत 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चो को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया है।

महापौर महोदया के इस निर्णय से अनधिकृत कालोनियों व गरीब परिवारों के उन लाखो परिवारो  के बच्चो को सीधा लाभ मिलेगा जो जन्म या निवास प्रमाण पत्र के आभाव में शिक्षा से वंचित रह जाते है।    

महापौर डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा ने अपने निर्देश के साथ विद्यालयों में लगाये जाने वाली सूचना का नमूना भी जारी किया है, जिसका विवरण इस प्रकार है 
:-

"शिक्षा का अधिकार 2009 के तहत 6 से 14 वर्ष के आयु  के सभी बच्चों को स्कूल में दाखिला मिलने व शिक्षा पाने का अधिकार है। दाखिले के लिए किसी भी बच्चे को मना नहीं क्या जाएगा, बच्चे का दाखिला उनकी आयु के हिसाब से संबन्धित क्लास में किया जाएगा और किसी प्रकार का टेस्ट नहीं लिया जायेगा।


दाखिले के लिए निवास प्रमाण पत्र व बच्चे के जन्म प्रमाण के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ आप जमा कर सकते हैं:

निवास का प्रमाण (कोई एक दस्तावेज):

·    बिजली/पानी/टेलीफ़ोन का बिल, राशन कार्ड, चुनाव पहचान पत्र या आधार कार्ड


बच्चे के जन्म का प्रमाण (कोई एक दस्तावेज़):

·   जन्म प्रमाण पत्र, अस्पताल /नर्स के रजिस्टर का रिकॉर्ड या आंगनवाड़ी रिकॉर्ड

यदि किसी अभियावक या माता-पिता के पास निवास या बच्चे के जन्म का कोई प्रमाण नहीं है तो ऐसे अभिभावक या माता पिता एक सादे कागज़ पर अपने बच्चे की जन्म तिथि लिख कर घोषणा कर सकते हैं। स्टांप पेपर पर किसी प्रकार के एफ़िडेविट जमा करने की आवश्यकता नहीं है।"

पूर्वी दिल्ली में नगर निगम के लगभग 400 विद्यालय है और पूर्वी दिल्ली के लाखो परिवारों के लिए बच्चो की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए निगम विद्यालत ही एकमात्र माध्यम है।
     
इस अवसर पर पूर्वी दिल्ली की महापौर डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा ने बताया कि क्षेत्र में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए कई प्रयास किये जा रहे है, इनमे निगम के सभी विद्यालयों के पक्के भवनों का निर्माण, सभी विद्यालयों के कंप्यूटर कक्ष, पुस्तकालय इत्यादि बुनियादी  के साथ साथ शिक्षको को नियुक्ति ली प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है।

Thursday, January 31, 2013

धर्मराजन कमेटी को भंग करना दुर्भावनापूर्ण एवं लोकतंत्र विरोधी कदम : डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा

एक मजबूत निगम व जनभागीदारी के प्रयासों को झटका, चुनावी राजनीती  ऊपर उठ कर विचार करे दिल्ली सरकार 

31 जनवरी 2013, पूर्वी दिल्ली नगर निगम 

पूर्वी दिल्ली की महापौर डॉ अन्नपूर्णा मिश्रा ने आज दिल्ली सरकार द्वारा "दिल्ली नगर निगम " से सम्बंधित धर्मराजन कमेटी को भंग करने के कदम को लोकतंत्र विरोधी एवं दुर्भावनापूर्ण बताते हुए कहा कि इस कदम से दिल्ली में मजबूत एवं प्रभावी स्थानीय शासन प्रणाली की स्थापना व जनभागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयासों को झटका लगेगा।

डॉ मिश्रा ने कहा कि धरमराजन कमेटी को 2010 में इस उद्देश्य से  बनाया गया था कि यह कमेटी नए दिल्ली नगर निगम अधिनियम को बनाने का कार्य करेगी। दिल्ली सरकार द्वारा कमिटी को बनाया तो गया लेकिन इस कमिटी को कोई भी सुविधा नहीं दी गई। यहाँ तक की नए कानून को बनाने के लिए आवश्यक विधि लेखक भी नहीं दिए गए।

धर्मराजन कमेटी द्वारा सरकार को दिए सुझावों में स्थानीय निकायों को ज्यादा स्वायत्ता देने, संविधान के 74 वे संशोधन के अनुरूप  देने, मेयर इन काउन्सिल बनाने, जन भागीदारी सुनिश्चित करने, अधिक पारदर्शी कार्यप्रणाली बनाने जैसे महत्वपूर्ण शामिल थे। 

दिल्ली सरकार ने जिस प्रकार अचानक इस कमिटी को भंग करने का निर्णय लिया उससे लगता है कि दिल्ली सरकार इस विषय को चुनावी राजनीती के नजरिये से ही देख रही है।

धरमराजन कमिटी के साथ कई  संस्थाएं, RWAs और जन प्रतिनिधि सहयोग कर रहे थे, इस निर्णय से इन सभी प्रयासों को झटका लगा है।

डॉ मिश्रा ने दिल्ली सरकार से इस मुद्दे पर  राजनैतिक स्वार्थो से ऊपर उठ कर लोकतंत्र व जन हित को  में  हुए कार्य करने की अपील की।

Friday, January 11, 2013

8 Months of East Delhi Municipal Corporation



आयुर्वेदिक पंचकर्मा  अस्पताल 

पूर्वी दिल्ली नगर निगम सदा ही पूर्वी दिल्ली के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं विशेषकर भारतीय चिकित्सा पद्धति: आयुर्वेदिक, होम्योपैथीक एवं यूनानी उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। कुछ क्षेत्रों में ये सुविधाएं पहले  ही उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।  नगर निगम भारतीय चिकित्सा पद्धति को इसलिए भी प्रोन्नत कर रहा है चूंकि यह चिकित्सा पद्धति परंपरागत होने के साथ-साथ उपचार सरल तथा दवाओं का दुष्प्रभाव नहीं होता।  पंचकर्मा आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके लिए नगर निगम काफी समय से विभिन्न क्षेत्रो में  आयुर्वेदिक सेवाएं नागरिकों को उपलब्ध करवा रहा है।


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पूर्वी दिल्ली नगर निगम के बनने के तुरंत बाद ही हमारी टीम ने सक्रियता से पूर्वी दिल्ली में विकास कार्य करने के प्रयास शुरू कर दिए, जिसके परिणाम स्वरुप 8 महीनो के छोटे से समय में ही पूर्वी दिल्ली की तस्वीर तेजी से बदलने लगी है।

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जहाँ एक और हमने निगम द्वारा विभिन्न सेवाओं की प्रदायगी और लाइसेंस प्राप्ति की प्रक्रियाओं को सरल बनाया वही सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से नए ट्रको, ऑटो टिपेर्स, नए साइकिल रिक्शा इत्यादि के द्वारा कचरे के निपटान की क्षमता को भी बढाया गया है 

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हमने नगर निगम बनने के तुरंत बाद ही एक बर्ष के भीतर पूर्वी दिल्ली में एक लाख पौधा रोपण का लक्ष्य रखा और उस लक्ष्य से भी ज्यादा पौधा रोपण करने की और हम बढ़ रहे है
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शिक्षा के क्षेत्र में भी इस छोटे से समय में ही हमने 19 स्कूलों नए भवनों के निर्माण का अनुमोदन किया गया, साथ ही 9 भवनों के निर्माण का कार्य प्रारंभ भी  चुका है , चार स्कूलों में अतिरिक्त कमरों का निर्माण भी किया जा रहा है।
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निगम के सभी विद्यालयों में कंप्यूटर प्रयोगशालाए स्थापित की जा रही है


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महीनो के इस  छोटे से समय में ही हमने 7 नए समुदाय भवनों के निर्माण का कार्य प्राम्भ कर दिया है और 9 अन्य समुदाय भवनों के निर्माण की प्रक्रिया आरम्भ की जा चुकी है

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पूर्वी दिली में किस तेजी से विकास कार्य को आगे बढ़ाये जाने के प्रयास हो रहे है उसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि  इस समय पूर्वी दिल्ली में पार्षद विकास निधि के लगभग 700 कार्य शुरू हो चुके है, विधायक विकास निधि के लगभग 400 कामो को भी पूर्वी दिल्ली नगर निगम पूरा कर रहा है, 2 मिनी स्टेडियमो के निर्माण का कार्य भी पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा शुरू किया जा चूका है।

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यमुना पार विकास बोर्ड की लगभग 30 परियोजनायो पर भी नगर निगम ने कार्य आरम्भ कर दिया है।
- शाहदरा में जिस आधुनिकतम पर्यावरण के अनुकूल झील परिसर का विकास हम करने जा रहे है उसके द्वारा पूर्वी दिल्ली विशिष्ट पहचान केवल पूरी दिल्ली में बल्कि  देश में बनेगी

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स्वस्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में भी जहाँ एक और स्वामी दयानंद अस्पताल में आज इस पंचकर्म अस्पताल का शुभारम्भ क्या जा रहा है वही 120 बिस्तरों वाले जच्चा बच्चा वार्ड का काम भी लगभग पूरा हो गया है,
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करावल नगर में 200 बिस्तरों वाले एक नए मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल का निर्माण हम करने जा रहे है,यही नहीं एक नर्सिंग स्कूल, 3 नए मातृत्व गृह, दो अन्य एकीकृत औषधालय, गीता कॉलोनी में नया आयुर्वेदिक अस्पताल , बिहारीपुर में नए आयुष डिस्पेंसरी इत्यादि का भी कार्य शुरू कर दिया गया है।

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नगर निगम की संपत्तियों के पुनर्विकास के द्वारा जहाँ एक और हम लोग पूर्वी दिल्ली नगर निगम की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने जा रहे है वही पूर्वी दिल्ली में आधुनिकतम इन्फ्रा स्ट्रकचर भी तैयार किया जा रहा है,

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दक्षिण क्षेत्र के कार्यालय के नए भवन का जो डिजाइन चुन गया हिया वो पूर्वी दिल्ली को एक अलग पहचान देगा

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शाश्त्री पार्क में बनाने जा रहे आधुनिकतम कार्यालय परिसर का कार्य हो या नन्द नगरी दिलशाद गार्डन, उस्मान पुर में शुरू होने जा रही परियोजनाए, बाबरपुरअप्सरा बॉर्डर, दिलशाद गार्डन, मयूर विहार  विश्वकर्मा पार्क,कृष्णा नगर में बहुमंजिला भूमिगत पार्किंग परियोजाए हो या कुछ ही पहले शुरू की गयी सतही पार्किंग  की संख्या, हम लोगो ने पूर्वी दिल्ली का विकास के मामले में अग्रणी बनाने का जो  लिया है उसिस दिशा में सफलता  तेजी से आगे बढ़ रहे है।

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नगर निगम की उप महापौर उषा जी हो या standing committee के अध्यक्ष भाई महक  सिंह जी, नेता सदन त्यागी जी हो या जोनो के अध्यक्ष संजय जैन और देविंदर भाई, विभिन्न समितियों के अध्यक्ष और निगम पार्षद सभी पूरी तन्मयता और   से पूरी दिल्ली को निखारने और सवारने के काम में  जुटे हुए है।

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इन सभी कार्यो का महत्वपूर्ण श्रेय हमारे आयुक्त महोदय  जी को,  है यादव जी और  पूरी टीम जिस कमिटमेंट के साथ काम कर रही है वो हम सभी के लिए  उदाहरण है।