मैं कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की गिरफ़्तारी का विरोध करती हूँ.
कार्टून बनाना देशद्रोह कैसे हो सकता है. असीम त्रिवेदी ने तो केवल राजतन्त्र में बढ़ते भ्रष्टाचार पर व्यंग करने के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जनता की आवाज को कार्टून के माध्यम से जाहिर किया.
देशद्रोह तब होता है जब राष्ट्रिय प्रतीक छपे हुए लेटर हेड्स पर अपने रिश्तेदारों को कोयला खदाने दी जाती है,
देशद्रोह तब होता है जब किसी फाइल के ऊपर राष्ट्रिय प्रतीक छपा होता है और अन्दर कामनवेल्थ खेल के नाम पर कभी 2G आवंटन के नाम पर घोटालो की रूपरेखा तैयार की जाती है.
महाराष्ट्र सरकार को आजाद मैदान में अमर जवान ज्योति तो तोड़ने वाले पर देशद्रोह का मामला बनता नज़र नहीं आया, लेकिन एक कार्टूनिस्ट जो कार्टून के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की लड़ाई में अपने योगदान दे रह है उसके प्रतीकात्मक कार्टून पर देशद्रोह दिखाई देता है.
जब कोई सरकार कार्टून से डर जाये, जब कलाकारों पर देशद्रोह जैसे संगीन इलज़ाम लगाये जाने लगे तो स्पष्ट है की ऐसी सरकार की चूले हिल चुकी है, भ्रष्ट सरकार को जनता की आवाज़ से ही डर लगने लगा है.
असीम त्रिवेदी पर की गई कार्यवाही गलत है, ऐसी किसी भी कार्यवाही से पहले कानून की भाषा के साथ साथ उसका मकसद भी समझना चाहिए.
कार्टून बनाना देशद्रोह कैसे हो सकता है. असीम त्रिवेदी ने तो केवल राजतन्त्र में बढ़ते भ्रष्टाचार पर व्यंग करने के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जनता की आवाज को कार्टून के माध्यम से जाहिर किया.
देशद्रोह तब होता है जब राष्ट्रिय प्रतीक छपे हुए लेटर हेड्स पर अपने रिश्तेदारों को कोयला खदाने दी जाती है,
देशद्रोह तब होता है जब किसी फाइल के ऊपर राष्ट्रिय प्रतीक छपा होता है और अन्दर कामनवेल्थ खेल के नाम पर कभी 2G आवंटन के नाम पर घोटालो की रूपरेखा तैयार की जाती है.
महाराष्ट्र सरकार को आजाद मैदान में अमर जवान ज्योति तो तोड़ने वाले पर देशद्रोह का मामला बनता नज़र नहीं आया, लेकिन एक कार्टूनिस्ट जो कार्टून के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की लड़ाई में अपने योगदान दे रह है उसके प्रतीकात्मक कार्टून पर देशद्रोह दिखाई देता है.
जब कोई सरकार कार्टून से डर जाये, जब कलाकारों पर देशद्रोह जैसे संगीन इलज़ाम लगाये जाने लगे तो स्पष्ट है की ऐसी सरकार की चूले हिल चुकी है, भ्रष्ट सरकार को जनता की आवाज़ से ही डर लगने लगा है.
असीम त्रिवेदी पर की गई कार्यवाही गलत है, ऐसी किसी भी कार्यवाही से पहले कानून की भाषा के साथ साथ उसका मकसद भी समझना चाहिए.