Monday, September 17, 2012

विदेशी किराना कंपनियों को नहीं दिया जायेगा लाइसेंस

निगम में लाया जायेगा इस सन्दर्भ में प्रस्ताव,
मुख्यमंत्री को लिखे खुले पत्र में महापौर ने जताया विरोध, इस मुद्दे पर जन सुनवाई किये जाने का निर्णय 

१७ सितम्बर २०१२, पूर्वी दिल्ली नगर निगम

पूर्वी दिल्ली की महापौर डॉ. अन्नपूर्णा मिश्रा ने आज दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित के नाम एक खुला पत्र जारी करते हुए दिल्ली में विदेशी किराना दुकानों को खोलने के उनके निर्णय का कड़ा विरोध किया. 

डॉ. अन्नपूर्णा मिश्रा ने इस अवसर पर घोषणा की कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश को अनुमति तथा
ऐसी विदेशी किराना कंपनियों को लाइसेंस दिए जाने के विरोध में एक प्रस्ताव लाया जायेगा.  

मुख्यमंत्री को लिखे खुले पत्र में महापौर डॉ. मिश्रा ने सवाल किया है कि जब अनेक महत्वपूर्ण राज्यों की सरकारे जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार और यहाँ तक कि कांग्रेस
शासित राज्य जैसे केरल ने भी अपने राज्य में विदेशी खुदरा कंपनियों को नहीं आने देने का निर्णय किया है तब दिल्ली में अनुमति देने की इतनी जल्दबाजी क्यूँ
?

डॉ. मिश्रा ने मुख्यमंत्री को आगाह किया कि दिल्ली के व्यापारी और जनता पूरे देश के लिए "प्रयोगशाला के चूहे" के तौर पर इस्तेमाल नहीं किये जाने चाहिए. 


डॉ. अन्नपूर्णा मिश्रा ने आगे सवाल पूछा है कि
क्या इस निर्णय से पहले सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने ये जानने कि कोशिश की कि दिल्ली के विभिन्न खुदरा व्यापार के केन्द्रों जैसे शाहदरा, कृष्णा नगर, चांदनी चौक, लाजपत नगर, करोल बाग, बाबरपुर, भजनपुरा, सरोजिनी नगर, सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर इत्यादि में रोजगार चला रहे व्यापारियों, कर्मचारियों, डिस्ट्रीबुटरो इत्यादि की जीविका पर क्या प्रभाव पड़ेगा


उन्होंने कहा कि
हमारे समाज के कमजोर वर्गों के लोग जैसे की मुस्लिम युवा, दलित समाज एवं गरीब परिवारों की कामकाजी महिलाएं सीधे या परोक्ष रूप से इसी खुदरा व्यापार से जुड़े हुए है. खुदरा व्यापार को विदेशी निवेश के लिए खोलने का यह प्रयोग सीधे तौर पर अल्पसंख्यक समाज, दलित समाज गरीब परिवारों की कामकाजी महिलायों की रोजी रोटी से खेलने जैसा है.
पत्र में महापौर महोदया ने लिखा है कि खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश हमारे युवाओं कि उद्यमशीलता को प्रभावित करेगा और देश का युवा जो कि आज अपनी कर्मठता और उद्यमशीलता के लिए जाना जाता है वो इन विदेशी खुदरा व्यापारियों की दुकानों में सेल्स बॉय या सेल्स गर्ल बनकर रह जायेगा. उन्होंने प्रश्न पूछा है कि आखिर क्यूँ दिल्ली सरकार बड़े पैमाने पर चीन में बनी सस्ती वस्तुएं बेचने वाली ये विदेशी खुदरा कम्पनियाँ को छूट दे रही है कि वो दिल्ली को एक चीन में बने सस्ते सामान का "डंपिंग ग्राउंड" बना दे?

डॉ. मिश्रा ने सवाल किया  कि
बिना नगर निगमों को विश्वास में लिए, बिना व्यापारियों कामगारों से चर्चा किया, बिना उपभोक्ता संगठनो कि राय जाने, बिना जनता कि मर्जी के लिया गया आपका यह निर्णय ना केवल अलोकतांत्रिक है बल्कि संविधान कि भावना के विपरीत भी है. उन्होंने पूछा कि आमजन की जिंदगी रोजगार से जुड़े ऐसे नीतिगत निर्णय इस प्रकार गुपचुप तरीके से क्यूँ लिए जा रहे है?

डॉ. मिश्रा का कहना है कि
इस प्रकार के निर्णय जन भागीदारी से ही लिए जाने चाहिए, दिल्ली सरकार को जन सुनवाई जिसमे व्यापारियों, उपभोक्ताओं, कर्मचारियों, प्रभावित होने वाले कमजोर वर्गों के प्रतिनिधियों,नगर निगमों, RWAs, इत्यादि सभी की भागीदारी हो, के बाद ही इस सन्दर्भ में निर्णय लेना चाहिए.

महापौर डॉ. अन्नपूर्णा मिश्रा ने जानकारी दी कि
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के द्वारा खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के मुद्दे पर एक जन सुनवाई की जायेगी. जिसमे खुदरा व्यापार से जुड़े सभी भागीदारो की बातो को सुना जायेगा. इस जनसुनवाई का आयोजन २६ सितम्बर २०१२ बुधवार को पूर्वी दिल्ली निगम मुख्यालय में किया जायेगा.


उन्होंने कहा कि इस जन सुनवाई के मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जी को भी आमंत्रित किया जायेगा.

डॉ. अन्नपूर्णा मिश्रा का कहना है कि वो दिल्ली के व्यापारियों और उपभोक्ताओं को "प्रयोगशाला का चूहा" बनाये जाने का विरोध करती है. 


Letter to CM Shiela Dikshit on FDI in Retail