Published in DAINIK JAGRAN on 7th Sept. 2009
अब शासन में आम जनता की सीधी भागीदारी
सुधीर कुमार, पूर्वी दिल्ली
सच्ची लोकशाही केंद्र में बैठे चंद आदमी नहीं चला सकते, वह तो हर गांव के लोगों द्वारा चलाई जानी चाहिए। सत्ता का केंद्र दिल्ली, कोलकाता या मुंबई जैसे बड़े नगरों तक सीमित है। मैं उसे भारत के सात लाख गांवों में बांटना चाहूंगा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने यह परिकल्पना 1909 में लिखी हिंद स्वराज पुस्तक में की थी, जबकि उनकी यह परिकल्पना अब साकार रूप लेने जा रही है। जहां इसकी पहल यमुनापार के दो निगम वार्डो में शुरू हो चुकी है।
किस मोहल्ले में किस तरह की सड़क बनाई जानी है और कहां नाली बननी है, किस पार्क को विकसित करना है और किस गरीब महिला को पेंशन देना है-इसका निर्धारण पार्षद नहीं, आम लोग तय कर रहे हैं। इसे मूर्त रूप दिया जा रहा है मोहल्ला सभाओं के जरिये। त्रिलोकपुरी व सोनिया विहार संभवत: भारत के दो पहले ऐसे निगम वार्ड हैं जहां सीधे व सच्चे लोकतंत्र की अलख जग चुकी है। दोनों वार्डो में मोहल्ला सभाओं के जरिये लोग सीधे तौर पर शासन में दखल देने लगे हैं। इसी सफलता से उत्साहित राजधानी के आधा दर्जन से अधिक पार्षद इसे अपने यहां शुरू कराने की सहमति दे चुके हैं। इनमें पूर्व मेयर आरती मेहरा व निगम के शाहदरा साउथ जोन के चेयरमैन रवि प्रकाश शर्मा भी शामिल हैं।
अभियान शुरू करने में लोकराज अभियान नामक स्वयंसेवी संस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संस्था के मनीष सिसोदिया ने कहा कि वास्तविक लोकतंत्र तभी है जब जनता का आदेश चले जहां अगर उसकी एफआईआर नहीं लिखी जा रही हो तो थानाध्यक्ष को हटाने तक का अधिकार जनता के पास हो। वर्तमान लोकतंत्र में जनता सिर्फ पांच साल में एक बार वोट देने का कर्त्तव्य भर निभाती है, जबकि इसके बाद का काम नौकरशाहों व जनप्रतिनिधियों के पास सुरक्षित हो जाता है।
ऐसे काम करती हैं मोहल्ला सभाएं
करीब दो माह पहले लोकराज अभियान के सहयोग से त्रिलोकपुरी व सोनिया विहार वार्ड में मोहल्ला सभा की शुरुआत हुई। सबसे पहले एक निगम वार्ड को दस हिस्सों में बांटा गया। एक हिस्से में करीब चार हजार मतदाताओं को रखा गया, जिसे मोहल्ले का नाम दिया गया। सभी मोहल्ला सभा की महीने में एक बार बैठक होती है। निगम पार्षद की ओर से सभी मतदाताओं को महीने में दो पत्र लिखे जाते हैं। एक पत्र मतदाताओं को आमंत्रित करने के लिए दिया जाता है जिसमें उन्हें तय दिन व जगह पर बुलाया जाता है। जहां संबंधित विभाग के अधिकारी भी आते हैं। निगम पार्षद व अधिकारी जनता से सीधे रूबरू होते हैं। जनता उनसे सवाल पूछती है, सुझाव देती है और कार्रवाई की मांग करती है। मौके पर ही पार्षद व अधिकारी योजनाओं को मंजूर करते हैं। काम होने के बाद सरकारी ठेकेदार को पेमेंट तभी की जाती है जब उस पर मोहल्ला सभा की मुहर लगती है।
क्रांतिकारी बदलाव : पार्षद
त्रिलोकपुरी के पार्षद डॉ. हरीशंकर कश्यप ने कहा कि निश्चित रूप से यह क्रांतिकारी बदलाव है। पहले दिन से ही लोगों का अपार सहयोग मिल रहा है। सोनिया विहार वार्ड की पार्षद अन्नपूर्णा मिश्रा ने कहा कि जनप्रतिनिधि व जनता एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। साथ ही अधिकारियों पर काम करने के लिए दबाव बढ़ रहा है।